अगले माह जम्मू कश्मीर में 10 वर्षों बाद विधानसभा चुनाव कराए जाएंगे। ये चुनाव तीन चरणों में सम्पन्न किए जाएंगे। इन चुनावों से ठीक पहले कॉंग्रेस पार्टी ने जम्मू कश्मीर के क्षेत्रीय राजनीतिक दल नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने की घोषणा करी है।
जम्मू कश्मीर : अगले माह तीन चरणों में जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव होने हैं। 10 वर्षों बाद होने वाले इन चुनावों से ठीक पहले गुरुवार को ही कॉंग्रेस पार्टी ने जम्मू कश्मीर की क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने की घोषणा करी थी। इसके बाद से सियासी गलियारे में कई सवाल उठने लगे थे। इन्हीं सियासी तल्खियों के बीच केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने काँग्रेस पार्टी और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से कुछ तीखे सवाल किए हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट साझा करते हुए उन्होंने काँग्रेस पार्टी पर सत्ता के लालच में आकर देश की अखंडता से समझौता करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि अब्दुल्ला परिवार की पार्टी के साथ गठबंधन कर के काँग्रेस पार्टी ने एक बार फिर अपने मंसूबे साफ कर दिए हैं। एनसी पार्टी के मैनिफेस्टो का जिक्र करते हुए अमित शाह ने काँग्रेस पार्टी से 10 सवाल...10 तीखे सवाल भी पूछे हैं।
1) क्या कॉंग्रेस पार्टी राष्ट्रीय कांफ्रेंस के जम्मू कश्मीर के लिए अलग झंडे के वादे का समर्थन करती है?
अमित शाह के इस सवाल के तार जाकर जुडते हैं उस दौर से जब भारत को आजाद हुए ज्यादा समय नहीं हुआ था। दरअसल राष्ट्रीय कांफ्रेंस ने पहली बार 1952 में राज्य के लिए अलग झण्डा बनाने की बात सामने रखी। इसके पीछे असली वजह राज्य को अपनी अलग पहचान देना था। 1957 में इस नीले बैकग्राउंड और लाल चाँद के साथ एक तारे से बने हुए झंडे को अपनाने के बाद 2019 तक यही राज्य का संवैधानिक झण्डा रहा। 2019 में भाजपा के द्वारा जम्मू कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस लेने के बाद तिरंगा ही राज्य का झण्डा बन गया। अमित शाह का यह सवाल भी यही मुद्दा उठाता है।
2) क्या राहुल गांधी भी अनुच्छेद 370 और 35ए को बहाल करने के जेकेएनसी के ऐसे फैसले का समर्थन करते हैं जो राज्य को आतंकवाद और अशान्ति के युग में धकेल देगा?
5 अगस्त 2019 को भाजपा सरकार ने संविधान से अनुच्छेद 370 और 35ए को हटा दिया था। यह अनुच्छेद राज्य को विशेष स्थति और विशेष दर्जा प्रदान करते थे। इन अनुच्छेदों के कारण राज्य में आतंकवाद की घटनाओं को बढ़ावा मिलता था। अमित शाह भी काँग्रेस से इसी स्थिति के बारे में सवाल कर रहे हैं।
3) क्या काँग्रेस कश्मीर के युवाओं की जगह पाकिस्तान से बात करके अलगाववाद को बढ़ावा देना चाहती है?
दरअसल फारूख अब्दुल्ला की पार्टी पर ये आरोप है कि उनकी पार्टी पाकिस्तान से राष्ट्रविरोधी बातचीत को बढ़ावा देती है। इसके पीछे मुख्य वजह फारूख अब्दुल्ला के पकिस्तानी नेताओं से संबंध और जम्मू कश्मीर को विशेष अधिकारों पर केंद्रित करने की उनकी पार्टी की इच्छा को माना जाता है। गृह मंत्री का यह सवाल भी राष्ट्र की इसी चिंता के पक्ष में सवाल उठाता है।
4) क्या राहुल गांधी भी एनसी के उस फैसले का समर्थन करते हैं जिससे पाकिस्तान के साथ व्यापार शुरू कर के आतंकवाद के एकोसिस्टम को बढ़ावा मिलेगा?
पार्टी ने कई मौकों पर पाकिस्तान के साथ व्यापार शुरू करने की इच्छा जताई है। 2019 के बाद से भाजपा सरकार के कदमों से पाकिस्तान के साथ व्यापारिक संबंधों पर कई पाबंदियाँ लग गई थीं। अगर ये पाबंदियाँ हटीं तो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को मदद मिलेगी जिससे भारत में आतंनकवाद को बढ़ावा मिलेगा। अमित शाह भी इस सवाल में पाकिस्तान की नापाक हरकतों से सुरक्षा पर चिंता रहे हैं।
5) क्या काँग्रेस भी आतंकवाद और पथराव में शामिल लोगों के रिश्तेदारों को सरकारी नौकरी में बहाल करने का समर्थन करती है जिससे आतंकवाद, उग्रवाद और हड़तालों का युग वापस आ जाएगा?
एनसी पर यह आरोप है कि कि वे आतंकवाद और पथराव में शामिल लोगों के रिश्तेदारों को सरकारी नौकरियों में बहाल करने का समर्थन करती है। माना जाता है कि इस कदम से भारत की सुरक्षा पर उग्र वार होगा। अमित शाह भी इस सवाल में राष्ट्रीय सुरक्षा के इसी मुद्दे पर चिंता व्यक्त कर रहे हैं।
6) गठबंधन से यह साफ है कि काँग्रेस पार्टी का आरक्षण के प्रति विरोधी रुख है। क्या काँग्रेस दलितों, गुज्जरों, बकरवालों और पहाड़ी समुदायों के लिए आरक्षण समाप्त करने के जेकेएनसी वादे का समर्थन करती है?
पिछले काफी समय से काँग्रेस पार्टी ने भाजपा के खिलाफ आरक्षण को अपना मुख्य हथियार बना रखा है। हालांकि एनसी ने कभी लितों, गुज्जरों, बकरवालों और पहाड़ी समुदायों के लिए आरक्षण समाप्त करने की बात नहीं कही है मगर फिर भी राजनीतिक पंडितों द्वारा समय समय पर इसे खत्म करने का आरोप लगता रहा है। अमित शाह का ये सवाल भी ऐसे ही आरोपों की उपज है जो कमजोर वर्ग समुदाय के अहित में होगा।
7) क्या कांग्रेस भी चाहती है कि 'शंकराचार्य हिल' को 'तख्त-ए-सुलेमान' और 'हरि हिल' को 'कोह-ए-मारन' के नाम से जाना जाए?
समय समय पर स्थानीय राजनीति में शंकराचार्य हिल और हरि हिल का नाम बदलने की मांग उठती रही है। एनसी पार्टी के स्थानीय राजनीतिक संबंधों के दृढ़ होने से उन पर भी नाम बदलने की इस नीति का समर्थन करने का आरोप लग चुका है। इस सवाल में अमित शाह भी इसी वादे पर काँग्रेस पार्टी का मात जानना चाहते हैं।
8) क्या कांग्रेस जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था को फिर से भ्रष्टाचार चुनिंदा पाकिस्तान समर्थित परिवारों को सौंपने की राजनीति का समर्थन करती है?
हालांकि इस बारे में एनसी पार्टी ने कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। मगर फिर भी राज्य की राजनीतिक प्रतिकूलता के कारण उनकी पार्टी इन विवादों में घिरी रहती है। अमित शाह भी इस बारे में काँग्रेस के स्टैन्ड पर सवाल कर रही हैं।
9) क्या काँग्रेस पार्टी भी जेकेएनसी पार्टी की तरह जम्मू और घाटी के बीच भेदभाव की राजनीति का समर्थन करती है?
पार्टी नीतियों पर काफी बार ये आरोप लगा है कि वे जम्मू की तुलना में घाटी के हितों की रक्षा अधिक करती हैं। हालांकि पार्टी ने हमेशा ही इन आरोपों का खंडन किया है। मगर इन आरोपों से ही अमित शाह का यह सवाल जन्म लेता है।
10) क्या काँग्रेस और राहुल गांधी भी कश्मीर को स्वायत्तता देने की जेकेएनसी की विभाजनकारी राजनीति का समर्थन करते हैं?
एनसी पार्टी ने हमेशा ही कश्मीर को स्वायत्तता देने के अपने विशेष राजनीतिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण का समर्थन किया है। अमित शाह भी अपने सवाल में इस विभाजनकारी राजनीति के बारे में राहुल गांधी का पक्ष जानना चाहते हैं।
यही वे 10 सवाल और उनके राजनीतिक मायने हैं जिनसे केन्द्रीय गृह मंत्री ने काँग्रेस और एनसी के गठबंधन पर सवाल उठाए हैं।