अयोध्या मरण रामपथ और भक्तिपथ से 50 लाख कीमत की लाइटों की चोरी का मामला सामने आया है। श्रीरामजन्मभूमि थाने के S.O. देवेन्द्र पांडेय ने बताया कि यह मामला दर्ज कर लिया गया है। पुलिस इसकी जांच कर रहीं है।
अयोध्या : श्री राम की नगरी अयोध्या से चोरी की एक अनोखी वारदात सामने आई है। शहर के रामपथ और भक्तिपथ से 50 लाख की लाइटें कुछ इस तरह से गायब हुईं कि जैसे किसी ने शहर की रोशनी को ही चुपके से चुरा लिया हो। ये लाइटें श्री रामलला प्राण प्रतिष्ठा के दौरान शहर में लगाई गई थीं।
शहर की यश इंटरप्राइजेज और कृष्णा ऑटोमोबाइल नामक दुकान को इन लाइटों को लगाने का काम मिल था। अब यश इंटरप्राइजेज में काम कर रहे एक कर्मचारी ने इस मामले को लेकर श्री रामजन्मभूमि थाने में एफ.आई.आर दर्ज कराई है। शेखर ने बताया कि 19 अप्रैल तक सब कुछ ठीक था लेकिन 19 मई के निरीक्षण में यहाँ लाइटें कम पाई गईं थीं और तब से लेकर अब तक यहाँ 3800 बैम्बू लाइट और 36 गोबो प्रोजेक्टर लाइट चोरी हो चुकी हैं। यह लाइटें अयोध्या के 10 वार्डों में 71.86 करोड़ रुपए की लागत से लगाई गई थीं। लेकिन अब इन लाइटों की गुणवत्ता पर भी सवाल उठ रहे हैं। कई पार्षदों ने तो यह भी कहा है कि ये लाइटें कभी जलती हैं तो कभी नहीं जलती और कई पोल तो टूटकर गिर भी चुके हैं। चोरी की इस घटना से पुलिस की लापरवाही भी सामने आती है। इस इलाके को अयोध्या के सबसे सुरक्षित स्थानों में गिना जाता है। शिकायत में बताया गया कि फर्म को मई में ही इस चोरी की जानकारी हो गई थी मगर शिकायत दो महीने बाद नौ अगस्त को दर्ज कराई गई। अब पुलिस इस मामले की जांच कर रही है।
अयोध्या को बदनाम करने की साजिश
महापौर महंत गिरीशपति तिवारी ने इसे अयोध्या को बदनाम करने की साजिश बताया है। बता दें कि 22 जनवरी को रामलला प्राण प्रतिष्ठा समारोह के कुछ ही महीने बाद मंदिर की छत से पानी टपकने लगा था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मंदिर तक जाने वाले रास्ते पर भी गाढ़े बन गए थे और अयोध्या स्टेशन के सामने भी जलभराव की शिकायत सामने आई थी।
शायद कभी लाइटें लगी ही नहीं
रामपाठ पर लगी लाइटों की चोरी पर जिला प्रशासन ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि कड़ी सुरक्षा के बावजूद इतने बड़े स्तर पर चोरी होना लगभग असंभव ही है। विकाश प्राधिकरण ने लगाई गई लाइटों की संख्या और रिपोर्ट में बताई गई चोरी की लाइटों की संख्या में अंतर पाया गया।
डिविजनल कमिश्नर गौरव दयाल ने कहा कि," संभावना यह है कि लाइटें कभी लगाई ही नहीं गईं। ये संभव ही नहीं है कि पेड़ों पर इतनी लाइटें लगाई गई हों। पेड़ों से लाइट चोरी होना असंभव बात है। वैसे, ये कॉन्ट्रैक्टर की जिम्मेदारी है कि वो साल भर इन लाइटों की देख-रेख करे। कॉन्ट्रैक्टर जो आरोप लगा रहा है, उसकी जाँच की जाएगी और अगर गलत शिकायत की गई है, तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई करेंगे।”