यूपी में अखिलेश की चाल से छूटेंगे भाजपा के पसीने

ब्राह्मण कार्ड से पूरी होगी अखिलेश की चतुरंगिणी सेना

अखिलेश ने सजा दी फील्डिंग, आउट होगी भाजपा

जिसने उत्तर प्रदेश जीत लिया वो भारत में सरकार बनाएगा। सालों से चली आ रही ये धारणा इस बार भी लोकसभा चुनाव 2024 में बनी हुई रही। सभी राजनीतिक पंडितों ने यूपी की राजनीति पर अपने अपने पत्ते खेले। सभी ने भाविष्यवाणियाँ करीं। मगर श्री राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा, काशी विश्वनाथ कॉरिडर और वाराणसी विकास मोडेल जैसे बीजेपी सरकार के जाने कितने ही काम देखने के बाद लगभग हर विशेषज्ञ यूपी में भारतीय जनता पार्टी को जीता हुआ मानकर चल रहा था। लेकिन इसी बीच राजनीतिक गलियारे मे वाइल्ड कार्ड एंट्री करते हैं अखिलेश यादव-


अखिलेश यादव ने यूपी जीतने के लिए जिस तरह से सेना सजाई उस तैयारी ने उन्हें भारतीय राजनीति का एक मँझा हुआ शूरमा बनाकर दिखाया है। चाहे यूपी के उप मुख्यमंत्रियों केशव प्राद मौर्य और ब्रजेश पाठक को बयानों के कठघरे में खड़ा कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर निशान साधना हो या फिर नीतिश कुमार के साथ मुलाकातें कर  बीजेपी आला कामान की सांसें फुलानी हैं। अखिलेश यादव की इन्हीं सब चालों ने उन्हें पिछले कुछ दिनों की राजनीतिक सुर्खियों से अलग होने का मौका नहीं दिया है। 

हाल के दिनों मे अखिलेश का ब्राह्मण कार्ड को टटोलना भी एक बार फिर उन्हें राजनीतिक गलियारे का अनकहा चाणक्य बनाकर दिखा रहा है। 
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ राजपूत समाज से आते हैं मगर ठाकुर समाज भी उन्हें अपने नेता के रूप में पूरा सम्मान देता है। इन्हीं दो समुदायों के बीच शायद यूपी का ब्राह्मण समाज अपने को छूटा हुआ महसूस कर रहा था। यूपी राजनीति की इसी नब्ज को बखूबी पढ़ा अखिलेश यादव ने। लोकसभा चुनाव की शुरुआत अपने पीडीए (पिछड़ें, दलित एवं अल्पसंख्यक) फार्मूला से करने के बाद उन्होंने पहले तो बीजेपी को यूपी में अप्रत्याशित हार दी और यूपी में 37 सीटे अपने नाम कर राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आए। वहीं उसके बाद ब्राह्मणों के मन मे उपज रही इस कथित खटास के सहारे अब वे बीजेपी के ब्राह्मण वोट बैंक में भी सेंधमारी करने को तैयार दिख रहे हैं। शायद अब उन्होंने अपने पीडीए फार्मूला को पीडीए+बी करने का निश्चय कर लिया है।