अजमेर दरगाह में शिव मंदिर होने की बात सामने आने के बाद अजमेर दरगाह खुब सुर्खियों में रही। बीते साल हुए दरगाह विवाद के बाद यह पहला उर्स था। ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के 813वें उर्स में बड़ी संख्या में जायरीन पहुंचे। विवाद के बाद दरगाह में सुरक्षा के भी विशेष इंतजाम किए गए। अजमेर के 6 हजार होटलों के कमरे कम पड़ गए तो लोगों ने घरों को गेस्ट हाउस बना दिया। दावा है कि ये आंकड़ा पिछले साल से दोगुना था। दुनियाभर से आए जायरीन में पाकिस्तान से आए 89 जायरीन भी शामिल थे। ख्वाजा गरीब नवाज के 813 वें उर्स में शामिल होने अजमेर आए पाकिस्तानी जायरीन शताब्दी एक्सप्रेस से अपने वतन लौट गए हैं। हालांकि, घर लौटने से पहले पाकिस्तानी नागरिकों ने भारत में जमकर खरीदारी की। भारत में पाकिस्तान की अपेक्षा सामान सस्ता है, इसलिए पाकिस्तानी जायरीन ने अपने वतन लौटते समय जमकर खरीदारी की।
पाक जायरीनों ने की अजमेर दरगाह में खरीदारी
ख्वाजा गरीब नवाज शरीफ की दरगाह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सीएम भजनलाल शर्मा, अरविंद केजरीवाल, मल्लिकार्जुन खड़गे, पूर्व सीएम अशोक गहलोत, पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट, वसुंधरा राजे, महाराष्ट्र के गवर्नर, पाकिस्तान समेत देश और दुनिया के तमाम बड़े लोगों की ओर से चादरें पेश की गईं। ख्वाजा साहब के उर्स में अजमेर आए पाक जायरीन ने 4 घंटे में 40 लाख की खरीदारी की। जायरीन ने आयोडेक्स, वैसलीन का मॉइस्चराइजर, हेलमेट, सोन पापड़ी, सोन हलवा, प्रेशर कुकर सहित कई चीजे खरीदी। जायरीन का कहना था कि भारत के मुकाबले पाकिस्तान में ये सामान 5 गुना महंगा मिलता है। ख्वाजा साहब का 813वां उर्स बड़े कुल की रस्म के बाद संपन्न हुआ। इसके बाद 89 जायरीन और 2 पाक एम्बेसी के अधिकारी सहित कुल 91 लोगों को स्पेशल ट्रेन से पाकिस्तानी के लिए रवाना किया गया।
पाकिस्तानी भारतीयों की मेहमान नवाजी से हुए खुश
पाकिस्तान के कोऑर्डिनेटर सुरेश सिंधी के अनुसार पाकिस्तान में यह सारा सामान बहुत महंगा मिलता है। वहीं पाकिस्तान से आए जायरीनों ने कहा कहा ख्वाजा साहब की नगरी में खाली जोली लेकर आए थे लेकिन यहां से झोली भरकर जा रहे हैं। अजमेर का मशहूर सोन हलवा सहित अन्य कई मिठाइयां खरीदी है। ख्वाजा साहब से भारत पाकिस्तान दोनों मुल्कों के बीच भाईचारा बना रहे इसके लिए दुआ मांगी है। इस दौरान पाकिस्तानियों ने भारत की मेहमान नवाजी की तारीफ की। और भारत की और से दी गई सुविधाओं के लिए शुक्रिया अदा किया है।
813वें उर्स में शामिल होने अजमेर दरगाह आए थे 89 पाकिस्तानी
आपको बता दें की बीते 30 साल से सुरेश सिंधी पाकिस्तानी जायरीन के लाइजन ऑफिसर का काम कर रहे हैं। नियमों के तहत घूमने फिरने की इजाजत होती है। वहीं दोनों देशों के बीच के हालात और रिश्तों के आधार पर प्रोटोकॉल फॉलो किया जाता है। 10–10 लोगों का जत्था बनाकर जियारत करवाई जाती है। इस दौरान 10–10 पुलिसकर्मी और सीआईडी के लोग भी साथ होते हैं। भारत-पाक समझौते के तहत उर्स के जायरीन की संख्या 500 तय की हुई है। वर्तमान हालात पर ही जायरीन को वीजा दिया जाता है। पिछले साल के मुकाबले इस बार की खरीदारी कुछ भी नहीं है। ख्वाजा साहब के 812वें उर्स में पाकिस्तान से 200 से ज्यादा जायरीन अजमेर आए थे। और इस दौरान जायरीनों ने 6 दिन में करीब 2 करोड रुपए की खरीदारी की थी। लेकिन इस बार एम्बेसी की और से करीब 89 जायरीन को ही परमीशन दी गई।