पोस्टमार्टम के बाद क्या कोई जिंदा हो सकता है? अगर यह सवाल कोई किसी से पूछे तो लोग उसे पागल या फिर सिरफिरा ही कहेंगे। आपने मरे हुए इंसान का पोस्टमार्टम होते हुए तो जरुर सुना और देखा होगा। लेकिन किसी जिंदा इंसान का ही पोस्टमार्टम कर दिया जाए तो क्या होगा। जितना सुनने में अजीब है उतना ही कहने में भी मगर ये सच है। यह अजीबो गरीब कारनामा राजस्थान के झुंझुनूं में डॉक्टरों ने कर दिखाया है। अब इस कारनामे के लिए सरकार की ओर से चिकित्सकों को पुरस्कार भी दिया गया है। भजनलाल सरकार ने इन चिकित्सकों को पुरस्कार स्वरूप निलंबित करने के आदेश दिए हैं।
डाक्टरों ने जिंदा इंसान का कर डाला पोस्टमार्टम
राजकीय भगवान दास खेतान अस्पताल में इमरजेंसी में डॉक्टर के मृत घोषित करने के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी में शिप्ट कर दिया गया। और बॉडी को डीप फ्रिजर में रख दिया गया। लावारिश रोहिताश को मृत मानकर दो घंटे तक बॉडी को डीप फ्रिजर में रखा गया। उसके बाद अंतिम संस्कार के लिए बॉडी भेज दी गई।
एसएमएस अस्पताल में हुई युवक की मौत
दरअसल जिंदा व्यक्ति को एक डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया। दूसरे ने कागजों में पोस्टमार्टम कर दिया। संस्था वाले अंतिम संस्कार के लिए ले गए। चिता पर लेटाते ही उसकी सांसे फिर चलने लगी।
रोहिताश को हालत गंभीर होने पर जयपुर अस्पताल लाया गया। जहां इलाज के दौरान रोहिताश ने दम तोड़ दिया। पोस्टमार्टम की घटना ने चिकित्सकों की कार्यशैली पर कई सारे सवाल खड़े करे दिए हैं।
गजब का कारनामा करने वाले चिकित्सक निलंबित
भजनलाल सरकार ने बड़ी कार्रवाई करते हुए तीन डॉक्टर्स को तत्काल प्रभाव से संस्पेड कर दिया है। इन तीनों का मुख्यालय पश्चिमी राजस्थान में स्थित भारत पाकिस्तान के बॉर्डर इलाके में कर दिया गया है। निलंबन काल में इन तीन डॉक्टर्स का मुख्यालय बाड़मेर, जैसलमेर और जालोर किया गया है। सरकारी एक्शन के शिकार हुए डॉक्टर्स में झुंझुनूं जिला मुख्यालय के बीडीके अस्पताल के पीएमओ डॉ. संदीप पचार, डॉ. योगेश जाखड़ और डॉ. नवनीत मील शामिल हैं। जिला कलेक्टर की रिपोर्ट इनके सस्पेंड ऑर्डर चिकित्सा एंव स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त शासन सचिव की ओर से जारी किए गए हैं।
घटनाक्रम में सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि राजकीय भगवान दास खेतान अस्पताल में रोहितास का पोस्टमार्टम हुआ कि नहीं। अगर पोस्टमार्टम हुआ है तो वह जिंदा कैसे हो गया? अगर पोस्टमार्टम नहीं हुआ है तो पोस्मार्टम किया गया, यह कैसे मान लिया गया? अस्पताल में रात तक इसका जवाब देने से जिम्मेदार बचते रहे।