बीजेपी ने छेड़ी नई राजनीति: क्या दलितों का समर्थन कांग्रेस को ले डूबेगा?

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Edited by : Kritika

Haryana Chunav Result : हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को करारा झटका लगा है। तमाम कोशिशों के बावजूद, वह फिर से सरकार बनाने में नाकाम रही। इसके पीछे कई कारण हैं, लेकिन एक ऐसा खेल हुआ, जिसमें कांग्रेस बुरी तरह फंस गई। बीजेपी ने पहलवान बेटी के मुकाबले दलित बेटी का दांव खेलकर कांग्रेस को चारों खाने चित्त कर दिया।

कांग्रेस पर विपक्ष लगातार जाटों की पार्टी होने का आरोप लगाता रहा है। यह मामला तब और बढ़ गया जब कांग्रेस ने पहलवान बेटियों के आंदोलन को समर्थन दिया और उनके पीछे खड़ी रही। बीजेपी को हराने के लिए कांग्रेस ने पहलवान बेटी का दांव खेला, यहां तक कि पहलवान विनेश फोगाट को टिकट देकर मैदान में उतार दिया। लेकिन बीजेपी ने इस मुकाबले में दलित कार्ड खेल दिया।

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से दलित नेता कुमारी सैलजा की नाराजगी का फायदा उठाते हुए पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने दलितों के अपमान का मुद्दा उठाया। नतीजा, दलित बीजेपी की ओर एकजुट होते नजर आए।

कुमारी सैलजा की नाराजगी ने बाकी की कसर भी दूर कर दी। जितने दिन वे चुनाव से दूर रहीं, बीजेपी ने हंगामा मचाया कि कांग्रेस में दलित बेटी का अपमान हो रहा है। इसका फायदा चुनावी मैदान में बीजेपी को होता नजर आ रहा है। जिन सीटों पर दलितों की आबादी ज्यादा है, वहां बीजेपी के उम्मीदवार को जीत मिलती दिख रही है। गोहाना में 2005 और मिर्चपुर में 2010 में दलितों के साथ जाटों के संघर्ष की याद दिलाई गई।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और अन्य बीजेपी नेता हर रैली में दलितों पर हुए अत्याचारों का जिक्र करते नजर आए। उन्होंने बताया कि यदि कांग्रेस की सरकार बनी, तो दलितों के साथ फिर से ऐसा ही कुछ हो सकता है। यह रणनीति काफी प्रभावी रही, और नतीजा सबके सामने है। दलित कार्ड को मात देने के लिए कांग्रेस ने आखिरी वक्त में बीजेपी से दलित नेता अशोक तंवर को पार्टी में शामिल कराया, लेकिन यह दांव सफल होता नजर नहीं आया।